माँ कैसी ज्यों जिस्म में जान जैसी। ज्यों फूल में सुगंध जैसी।ज्यों फ़रिश्तों की संगत जैसी,ज्यों सूफी संतों की रंगत जैसी।मीठी कैसी कृष्ण की बांसुरी जैसी।कोमल कैसी चन्दन जैसी।हर ध्यान से बड़ी हर ध्यान से बड़ी हर कमर्काण्ड से बड़ी।।।।जैसे बिन पानी घोल नहीं,माँ बिन जीवन का कोई मोल नहीं
No comments:
Post a Comment