Monday, September 17, 2018

ईश्वर कहाँ है?,,,,,,,,,,,ज्ञान विज्ञान धर्म नीति सब सरल है हमने जटिल बनाया है।।किसी भी सार तत्त्व को जानने के लिए  just a moment लगता है।।भर्तहरि को गोरखनाथ मिले और एक पल मे ज्ञान हो गया।दादू के रज्जब को चुन चुन कागा हाड़ का माँसा का ज्ञान भी जल्दी ही हुवा।मीरा का कृष्ण मिलन भी जस्ट a second moment रहा।कबीर का ज्ञान भी ना  धर्म गर्न्थो पर था ना लंबी साधना थी ना कोरा ज्ञान था।।ईश्वर  कहीं नहीं है पर ईश्वर सर्वत्र है।।।।खोजी को तुरंत मिलेगा बस पल भर की तलाश मे

Sunday, September 16, 2018

जस्ट a मोमेंट,,,,,,,जीवन मे आज हमारे चिंतन पर काई जम गयी है।हम सब कुछ होते हुवे भी दुखी है।वर्तमान सही है पर भावी की चिंता है।।जीवन मर्घट सी उदासी सा है।देह भौतिक सुविधा का भोग कर रही है पर आत्मा उद्विग्न है।अंतस मन बेचैन है।मृग की तरह कस्तूरी ढूंढ रहे हैं और कस्तूरी नाभि के भीतर है।।खुद को ही पता नहीं कि हम जीवन मे क्या चाहते है
माँ कैसी ज्यों जिस्म में जान जैसी। ज्यों फूल में सुगंध जैसी।ज्यों फ़रिश्तों की संगत जैसी,ज्यों सूफी संतों की रंगत जैसी।मीठी कैसी कृष्ण की बांसुरी जैसी।कोमल कैसी चन्दन जैसी।हर ध्यान से बड़ी हर ध्यान से बड़ी हर कमर्काण्ड से बड़ी।।।।जैसे बिन पानी घोल नहीं,माँ बिन जीवन का कोई मोल नहीं
बँटवारा,,,,,,,,,,,,,,,बँटवारा सरहद पर हो या घर मे, माँ रोती है।मत  सतावो यारों माँ को माँ बड़ी मायूस होती है।।।।